कहानी - मैं सौतन नहीं हूँ
“ शेखर , हमारी पढ़ाई खत्म हुई और आज हमदोनों को डिग्री भी मिल गयी . इसके बाद न जाने तुम कहाँ होगे और मैं कहाँ रहूंगी . तुम जानते हो हमारा रिश्ता मुमकिन नहीं है . इसलिए अब हमें मजबूरन एक दूसरे से जुदा होना ही पड़ेगा . “
“ खुशबू , मेरी तरफ से ऐसी कोई मजबूरी नहीं है . मैंने अपने मम्मी पापा से बात कर ली है . उन्हें दूसरे धर्म की लड़की से परहेज नहीं है . “
“ पर मेरे मम्मी डैडी को है . दीदी का जो हश्र हुआ मुझे अभी तक याद है . उन्हें भी दूसरे धर्म के लड़के से प्यार हो गया था . पापा का कहना था कि अगर लड़का धर्म बदल दे तो उन्हें यह रिश्ता मंजूर है , वरना विधर्मी से शादी की तो माता पिता के लिए वह मरी समझी जाएगी . दीदी ने भाग कर लव मैरेज तो कर लिया पर उसके बाद आज तक दुबारा घर में कदम नहीं रख सकी . हमने सोचा था कि शायद दी को बच्चा होने पर मम्मी पापा नाती को देख कर अपना विचार बदल देंगे . पर दो दो नन्हें मुन्ने नातियों के फोटो तक देखना उन्हें गंवारा न था . और मुझे मालूम है तुम भी अपना धर्म नहीं बदल सकते हो , इसलिए हमारी लव स्टोरी का यहीं द एन्ड हुआ . “
“ पर अभी कुछ ही दिनों पहले तक तुमने ऐसी कोई बात नहीं की थी और मुझे याद है तुमने भी कहा था कि अपनी दीदी की तरह लव मैरेज कर लोगी . और इसी इरादे के चलते इसी के चलते तुमने खुद को ख़ुशी ख़ुशी मुझे समर्पित भी कर दिया था , याद है न . “
“ हाँ , यूँ समझो कि उस समय मैं खुद को बहुत स्ट्रांग समझ बैठी थी और उनके विरुद्ध जाने की सोच बैठी . और जहाँ तक बात समर्पित करने की थी तो मैं कुछ पल के लिए कमजोर पड़ गयी थी और वह मेरी ज़िंदगी की पहली और आखिरी भूल थी , हमें ऐसा नहीं करना चाहिए था . वह मेरी पहली और आखिरी भूल थी . दीदी के जाने के बाद से मम्मी पापा को घुट घुट कर जीते देखा है . वैसे भी अब उन्हें तकलीफ नहीं देना चाहती हूँ . तुम मेरी तरफ से आज़ाद हो . बेकार हमलोगों को जिंदगी भर समाज से कट कर रहना पड़ेगा और उनके ताने सुनने को मिलेंगे . इस से बेहतर है एक बार मन को समझा लें और इस रिश्ते को भूल कर आने वाले जीवन की राह बदल लें . “
शेखर ने खुशबू को आलिंगन में लेना चाहा पर उसने जल्द ही शेखर की बाहों से अपने को मुक्त कर के कहा “ नहीं शेखर , अब और नहीं . मैं कमजोर हो कर टूटना नहीं चाहती हूँ . तुम्हें भी समझना होगा . “
“ एक बार ठीक से सोच लो . मैं और मेरे घर वाले तुम्हें आज भी सहर्ष स्वीकार करने को तैयार हैं . “
“ मैं जानती हूँ शेखर और इसके लिए मैं तुम लोगों की आभारी हूँ . पर मैं मम्मी पापा को अकेले नहीं छोड़ सकती हूँ . मैं मजबूर हूँ . मैं दीदी की तरह हिम्मतवाली नहीं हूँ . बाय , टेक केयर ऑफ़ योरसेल्फ . “
“ अरे , इस तरह बाय कर के चल दोगी ? क्या इसके बाद हम दोनों बिलकुल अजनबी की तरह रहेंगे ? क्या हमारे बीच कोई रिश्ता नहीं रहेगा आज के बाद ? कोई सम्पर्क का साधन तो होना चाहिए हमारे बीच . “
“ हम दोनों के लिए यही बेहतर है कि दोनों एक दूसरे को भूल जाएँ और अजनबी ही रहें . मेरी शादी की बात भी चल रही है , अपने ही धर्म के लड़के से . पापा के बहुत करीबी दोस्त का लड़का है . मैं उनके खिलाफ नहीं जा सकती हूँ , तुम्हें समझना होगा शेखर . कांटेक्ट में रहने से फिर प्रेम का बीज पुनः पनपने लगेगा और दोनों में कोई भी चैन से नहीं जी सकेगा . “
खुशबू और शेखर के लिए यह आखिरी मुलाकात थी . एक महीने के अंदर ही खुशबू की शादी हो गयी और वह श्री लंका चली गयी . उसका पति अरमान भारतीय मूल का था पर उसका श्री लंका के बेन्टोना में बिजनेस था और वहीँ सेटल्ड था . बिजनेस कोई बहुत बड़ा नहीं था . एक इंडियन रेस्टॉरेंट था जिसकी आमदनी अपनी जरूरतों और ख़ुशी से जीने के लिए काफी थी . पर खुशबू की यह ख़ुशी ज्यादा दिनों के लिए नहीं रही .
शादी के एक महीने बाद ही खुशबू को लगा कि वह प्रेग्नेंट है . खुशबू का मन कह रहा था कि यह बच्चा उसके पति का नहीं हो सकता है . प्रेग्नेंसी टेस्ट पॉजिटिव आया , मियां बीबी दोनों खुश थे . कुछ महीनों बाद गाले में इंडिया और श्री लंका का क्रिकेट मैच था . उसका पति मैच देखने जा रहा था . हालांकि अरमान नहीं चाहता था पर खुशबू ने भी गाले जाने की जिद ठान ली और कहा “ गाले बेन्टोना से नजदीक ही है , एक घंटे में पहुँच जायेंगे . “
वे दोनों मैच देखने जा रहे थे . मैच शुरू ही होने वाला था , टॉस हो चुका था . जल्दी पहुँचने के चक्कर में अरमान ने कार की स्पीड बहुत बढ़ा दी . एक मोड़ पर किसी ट्रक से बचने के लिए अचानक ब्रेक लेना पड़ा और कार दो तीन पलटी खाने बाद एक किनारे जा गिरी . इस भयंकर दुर्घटना में उसका पति अरमान बुरी तरह घायल हुआ . खुशबू को भी काफी चोट लगी थी . उसके एक पैर की हड्डी टूट गयी थी . उसकी जान को कोई खतरा नहीं था पर उसकी एमरजेंसी डिलीवरी करानी पड़ी . दो दिनों के बाद अस्पताल में पति की मौत हो गयी .मरने के पहले उसने अपनी बच्ची की एक झलक भर देखी थी हालांकि वह पूरी तरह होश में नहीं था . मरने के पहले ही पति ने उस से वादा लिया था कि उसकी मौत के बाद श्री लंका में रह कर उसका बिजनेस खुशबू को देखना होगा .
खुशबू की बेटी मीना का चेहरा तो शेखर से काफी मिलता था साथ में उसकी बड़ी बड़ी आँखें और घुंघराले बाल भी शेखर जैसे ही थे . यह सब देखने के बाद खुशबू को यकीन हो गया कि मीना उसके पति अरमान की संतान नहीं थी बल्कि वह उसके पहले प्रेम की निशानी थी .
इधर खुशबू के जाने के बाद से शेखर उदास रहा करता था . एक साल तक माता पिता के दबाव के बावजूज वह शादी टालता रहा पर इसके बाद उसे शादी करनी पड़ी . वह चेन्नई के एक मल्टीनेशनल कम्पनी में काम करता था . शादी के करीब दस साल बाद वह अपनी पत्नी और बेटे के साथ श्री लंका गया . इत्तफाक से एक दिन डिनर के लिए वह खुशबू के रेस्टॉरेंट में पंहुचा . खुशबू ने शेखर को देख कर पहचान लिया . उसके टेबल पर आर्डर लेने वह खुद गयी . पहली नजर में शेखर उसे पहचान नहीं सका . कार एक्सीडेंट में हुए ज़ख्म भरने के लिए खुशबू के चेहरे पर दोनों तरफ काफी टाँके लगे थे . शेखर ने अपनी पत्नी मीरा और बेटे अंशु की पसंद के डिश आर्डर किये . खुशबू आर्डर ले कर चुपचाप चली गयी और फ्रंट डेस्क पर बैठ गयी .
क्रमशः